बुधवार, 13 जुलाई 2011

बिन गुरु ज्ञान नहीं

                   कार्य समाप्त कर घर जाने के लिए दिलीप भैया को फोन लगाया, उन्होंने कहा - आज मुझे आवश्यक कार्य आ जाने के कारण जल्द ही घर के लिए निकल गया हूं, कल साथ मे निकलेंगे। फिर मैंने पारथो भैया को लगाया उन्होनें कहा मुझे मेरे कार्यालय शंकर नगर के पास मिलो चलेंगे। मैं शंकर नगर उनके कार्यालय में पहूंचा और हम साथ मे निकल पड़े। पारथो भैया बहुत ही मस्तमौला इंसान हैं। वे घर जाते वक्त रास्ते में कई बार कुछ ना कुछ खिलाते हैं और मुझे बिल भरने नही देते। मैं ठान लिया था कि इस बार मैं बिल भरूँगा । रास्ते में आनन्द नगर स्थित बिसम्बर भैया का खुश्बु दाबेली सेंटर हैं। मैं पारथों भैया को वहां लेकर गया और एक-एक दाबेली खाने के लिए कहा। पहले तो वे ना नुकुर किये फिर खाने के लिए राजी हो गये। 
                          बिसम्बर भैया दाबेली इतना स्वादिस्ट बनाते है कि दूर-दूर से लोंग खाने आते है, इस दाबेली की खासियत यह है कि वे इसे पाव ब्रेड से नही बर्गर ब्रेड से और स्पेशल मसाले,  अतिरिक्त मखन डालकर बनाते हैं, बहुत ही गजब का स्वाद है दाबेली में। इनके यहाँ बहुत भीड़ भाड़ रहता है, परन्तु परिचित होने के कारण बीच में ही जल्द ही मिल जाता है। एक दाबेली खाने के बाद फिर क्या था, एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद घर के लिए पैकिंग करवा लिया। दाबेली खाते-खाते मैंने पारथो भैया को बताया कि दिलीप भैया को भी पहली बार दाबेली खिलाया तो उन्होंने भी दाबेली की तारिफ की और अपने परिवार के लिए भी पैक करवा कर ले गये।
                        दाबेली खाने के बाद हम घर के लिए निकल ही रहे थे कि मेरी नजर पास के दुकान के पास खड़े मेरे हाई स्कुल के शिक्षक पर पड़ी। उन्हें देखकर मुझे अजीब सा अनुभुति हुआ। मैं तुरंत अपने शिक्षक के चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लिया, मुझे देखकर मेरे शिक्षक बहुत ही प्रसन्नता से पूछा और कैसा है हाल-चाल, बहुत दिनों बाद मिले। 
मैंने कहा - बस सर, आपके आशिर्वाद से सब ठीक चल रहा हैं। 
शिक्षक ने कहा - क्या कर रहे हो आज कल ? 
मैने कहा - कुछ नही, बस एक अखबार में उप संपादक हूं। 
              मेरे इतना कहने पर उनकी खुशी और बढ़ गई और उन्होंने कहा - शाबाश बेटा, अच्छा कार्य कर रहे हो, अपने छात्रों को अच्छे मुकाम पर देखकर मन प्रसन्न हो जाता हैं। कहते हुए मेरी पीठ थप्पथपाई 
मैंने कहा - बस आपका आशिर्वाद हमेशा बना रहे। 
उन्होंने कहा - हम इतने छात्रों को शिक्षा देते है और ये छात्र आगे चलकर अच्छे-अच्छे कार्य करते हैं तो इससे बढ़कर हमारे लिए खुशी की क्या बात होगी ? 
मैंने कहा - आप शिक्षकों की मेहनत की वजह से ही छात्र-छात्राऐं आगे बढ़ते हैं। इसमें आप सभी का ही हाथ होता है। 
उन्होंने कहा - हम तो अपना कर्तव्य निभाते हैं, आगे छात्र कितना मेहनत करता है और सही मार्ग पर चलता है, यह उसके ऊपर हैं। फिर उन्होने कहा अच्छा लगा मिलकर, मिलते रहना। ( अजीब सी खुशी देखी मैंने उनकी आंखों में।)
              कितनी ही अजीब बात है। पहले शिक्षक इसे अपना कर्तव्य मान कर शिक्ष दिया करते थे और एक आज के शिक्षक है जो पहले प्राथमिकता शिक्षा के बजाय पैसों को देते हैं। इसका एक ताजा उदाहरण ''पीएमटी पर्चा लीक कांड'' ही देख लीजिए। आज कल के शिक्षक प्रोफेशनल हो गये है और शिक्षा को अपने फायदे के लिए बेचने लगें हैं। यदि सभी शिक्षक अपने कर्तव्य का पालन करेंगे तो देश का भविष्य नौजवान छात्र-छात्राऐं देश की उन्नति में कितना साथ दे सकते है। यदि शिक्षक चाहें तो अपने छात्रों को ऊचांइयों पर पहुंचा सकता हैं, देश के नौजवान को सही राह दिखाना उन्हें उचित मार्ग दर्शन देना ही गुरू है और गुरू के सिखाए व दिखाऐ गये राह पर चलना ही सच्चा शिष्य कहलाता है। जो शिक्षा देता है वह ही गुरू नही अपितु गुरू चाहे आपको आपके जीवन में किसी भी तरह से शिक्षा दे गुरू कहलाएंगे। जो आपके मुश्किल समय मे आपका साथ थे वह भी गुरू हो सकता हैं। 
                           मेरे जीवन मुझे अभी तक जिन्होने शिक्ष दिया है। मेरी माता, वे सभी शिक्षक जिन्होनें मुझे शिक्षा दिया और मेरे धार्मिक गुरू श्री यदुराम साहु जिन्होंने हमें धार्मिक ज्ञान दिया है। इसके साथ ही मेरे बॉस श्री मधुर चितलांग्या जिनके द्वारा मुझे बहुत सी बाते व ज्ञान सिखने के लिए मिला, साथ ही जिन्होंने मुझे पेपर मेकिंग सिखाया श्री मधु सुदन जी व जिन्होंने मुझे वीडियो मिक्सींग सिखाया श्री मुकेश जी, व जिन्होंने मुझे कानुनी ज्ञान दिया श्री दिनेशराय द्विवेदी, राजस्थान, व अनिल कुमार वर्मा (एडव्होकेट) रायपुर. मेरे गुरु ने कहा है जिसका कोई गुरु नहीं उसका गुरु हनुमान जी  और साईं बाबा है.
                          मेरे  सभी आदरणीय गुरूजनों को मेरा सादर नमन - बंटी निहाल, रायपुर 

7 टिप्‍पणियां:

uma maheswar kaushal ने कहा…

sahi baat hai bina raste ke koi manzil tak nahi pahuchta agar ham rahi to shikshak rasta jo hame sahi manzil tak le jayenge

vinay ने कहा…

very good jo tumne kiya har student ko karna chahiye tumhra lekh padhkar achha laga isse pata chalta hai hai tumne kitne mehnat kiya

vinay

Rajesh ने कहा…

ye ekdum sahi baat hai.

Arunesh c dave ने कहा…

लिखते रहिये लेखनी अपने आप निखरती जायेगी शुभकामनाएं

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

दाबेली, लगता है बर्गर जैसी ही कोई लाजवाब दिश है, पढते पढते ही मुंह में पानी आगया.:)

शिक्षा आजकल व्यापार होगयी है सो आजकल योग्य गुरू पाजाना भी भाग्य की बात है.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भूल सुधार :-

दिश = डिश पढा जाये.

रामराम.

रेखा ने कहा…

आपकी पोस्ट पढ़ी मैंने बहुत ख़ुशी हुई .....आप बहुत मेहनती हैं और सबसे बड़ी बात आप के अन्दर आगे बढ़ने का जज्बा है जो आपको एक दिन बहुत ऊपर तक ले के जाएगा मेरी कामना है कि आप खूब तरक्की करें मेरी पोस्ट को सराहने के लिए धन्यवाद