सोमवार, 27 जून 2011

मानहानि का दावा क्या है? इसे किस प्रकार से न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है?

मेरे मन में बहुत दिनों से एक सवाल था. जिसे मेरे गुरु श्री दिनेशराय द्विवेदी जी को  अपने मन की उलझन के साथ बताया. गुरु जी ने बहुत ही खूबसूरती से इसके बारे बताया है. मेरा सवाल था की  मानहानि का दावा क्या है?  इसे किस प्रकार से न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है? और उस का पहला कदम क्या है?
दिनेशराय द्विवेदी जी का  उत्तर - मानहानि के लिए दो तरह की कार्यवाहियाँ की जा सकती हैं। उस के लिए आप अपराधिक मुकदमा चला कर मानहानि करने वाले व्यक्तियों और उस में शामिल होने वाले व्यक्तियों को न्यायालय से दंडित करवाया जा  सकता है। दूसरा मार्ग यह है कि यदि मानहानि से किसी व्यक्ति की या उस के व्यवसाय की या दोनों की कोई वास्तविक हानि हुई है तो वह उस का हर्जाना प्राप्त करने के लिए दीवानी दावा न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है और हर्जाना प्राप्त कर सकता है। दोनों मामलों में अन्तर यह है कि अपराधिक मामले में जहाँ नाममात्र का न्यायालय शुल्क देना होता है वहीं हर्जाने के दावे में जितना हर्जाना मांगा गया है उस के पाँच से साढ़े सात प्रतिशत के लगभग न्यायालय शुल्क देना पड़ता है जिस की दर अलग अलग राज्यों में अलग अलग है। हम यहाँ पहले अपराधिक मामले पर बात करते हैं।  
        किसी भी व्यक्ति को सब से पहले तो यह जानना होगा कि मानहानि क्या है? मानहानि को भारतीय दंड संहिता में एक अपराधिक कृत्य भी माना गया है और इसे धारा 499 में  इस तरह परिभाषित किया गया है -

जो कोई बोले गए, या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य निरूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाएया यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी अपवादों को छोड़ कर यह कहा जाएगा कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है।  
यहाँ मृत व्यक्ति को कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आता है, यदि वह लांछन उस व्यक्ति के जीवित रहने पर उस की ख्याति की अपहानि होती और उस के परिवार या अन्य निकट संबंधियों की भावनाओं को चोट पहुँचाने के लिए आशयित हो। किसी कंपनी, या संगठन या व्यक्तियों के समूह के बारे में भी यही बात लागू होगी।  व्यंगोक्ति के रूप में की गई अभिव्यक्ति भी इस श्रेणी में आएगी। इसी तरह मानहानिकारक अभिव्यक्ति को मुद्रित करना,  या विक्रय करना भी अपराध है।
लेकिन किसी सत्य बात का लांछन लगाना, लोक सेवकों के आचरण या शील के विषय में सद्भावनापूर्वक राय अभिव्यक्ति करना तथा किसी लोक प्रश्न के विषय में किसी व्यक्ति के आचरण या शील के विषय में सद्भावना पूर्वक राय अभिव्यक्त करना तथा  न्यायालय की कार्यवाहियों की रिपोर्टिंग भी इस अपराध के अंतर्गत नहीं आएँगी।  इसी तरह किसी लोककृति के गुणावगुण पर अभिव्यक्त की गई राय जिसे लोक निर्णय के लिए ऱखा गया हो अपराध नहीं मानी जाएगी।  
मानहानि के इन अपराधों के लिए धारा 500,501 व 502 में दो वर्ष तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।  लोक शांति को भंग कराने को उकसाने के आशय से किसी को साशय अपमानित करने के लिए इतनी ही सजा का प्रावधान धारा 504 में किया गया है। 
           जो कोई व्यक्ति अपनी मानहानि के लिए मानहानि करने वाले के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाना चाहता है उसे सीधे यह शिकायत दस्तावेजी साक्ष्य सहित सक्षम क्षेत्राधिकार के न्यायालय के समक्ष लिखित में प्रस्तुत करनी होगी। न्यायालय शिकायत प्रस्तुतकर्ता का बयान दर्ज करेगा, यदि आवश्यकता हुई तो उस के एक दो साक्षियों के भी बयान दर्ज करेगा। इन बयानों के आधार पर यदि न्यायालय यह समझता है कि मुकदमा दर्ज करने का पर्याप्त आधार उपलब्ध है तो वह मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए समन जारी करेगा। अभियुक्त के उपस्थित होने पर उस से आरोप बता कर पूछा जाएगा कि वह आरोप स्वीकार करता है अथवा नहीं। आरोप स्वीकार कर लेने पर उस मुकदमे का निर्णय कर दिया जाएगा। यदि अभियुक्तों द्वारा आरोप स्वीकार नहीं किया जाता है तो शिकायतकर्ता और उस के साक्षियों के बयान पुनः अभियुक्तों के सामने लिए जाएंगे, जिस में अभियुक्तों या उन के वकील को साक्षियों से प्रतिपरीक्षण करने का अधिकार होगा। साक्ष्य समाप्त होने के उपरांत अभियुक्तों के बयान लिए जाएंगे। यदि अभियुक्त बचाव में अपना बयान कराना चाहते हैं तो न्यायालय से अनुमति ले कर अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। वे अपने किन्ही साक्षियों के बयान भी दर्ज करवा सकते हैं। इस तरह आई साक्ष्य के आधार पर दोनों पक्षों के तर्क सुन कर न्यायालय द्वारा निर्णय कर दिया जाएगा। अपराधिक मामले में अभियुक्तों को दोषमुक्त किया जा सकता है या उन्हें सजा और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। शिकायतकर्ता को अभियुक्तों से न्यायालय का खर्च दिलाया जा सकता है। लेकिन इस मामले में कोई हर्जाना शिकायतकर्ता को नहीं दिलाया जा सकता।
           यदि कोई व्यक्ति अपनी मानहानि से हुई हानि की क्षतिपूर्ति प्राप्त करना चाहता है तो उसे, सब से पहले उन लोगों को जिन से वह क्षतिपूर्ति चाहता है एक नोटिस देना चाहिए कि वह उन से मानहानि से हुई क्षति के लिए कितनी राशि क्षतिपूर्ति के रूप में चाहता है। नोटिस की अवधि व्यततीत हो जाने पर वह मांगी गई क्षतिपूर्ति की राशि के अनुरूप न्यायालय शुल्क के साथ सक्षम क्षेत्राधिकार के न्यायालय में वाद दस्तावेजी साक्ष्य के साथ प्रस्तुत कर सकता है। वाद प्रस्तुत करने पर संक्षिप्त जाँच के बाद वाद को दर्ज कर न्यायालय समन जारी कर प्रतिवादियों को बुलाएगा और प्रतिवादियों को वाद का उत्तर प्रस्तुत करने को कहेगा। उत्तर प्रस्तुत हो जाने के उपरांत यह निर्धारण किया जाएगा कि वाद और प्रतिवाद में तथ्य और विधि के कौन से विवादित बिंदु हैं और किस बिन्दु को किस पक्षकार को साबित करना है। प्रत्येक पक्षकार को उस के द्वारा साबित किए जाने वाले बिन्दु पर साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। अंत में दोनों पक्षों के तर्क सुन कर निर्णय कर दिया जाएगा। यहाँ पर्याप्त साक्ष्य न होने पर दावा खारिज भी किया जा सकता है और पर्याप्त साक्ष्य होने पर मंजूर किया जा कर हर्जाना और उस के साथ न्यायालय का खर्च भी दिलाया जा सकता है।
         उक्त विवरण के बाद भी एक बात स्मरण रखें कि हमारी न्याय व्यवस्था में वकील का बहुत महत्व है। उस के बिना शायद ही कोई मुकदमा ठीक से लड़ा जा सकता हो। 

साभार - दिनेशराय द्विवेदी जी,
http://teesarakhamba.blogspot.com/ 

बुधवार, 22 जून 2011

उधार चुका देने पर भी चैक न लौटाने पर क्या करें?

मैं बहुत मुश्किल में था। मैंने एक व्यक्ति से उधार लिया था और चैक दिया था। उसे पुरे पैसे देने के बावजूद वह मेरा चैक वापस नहीं किया है और बाउंस करने की धमकी दे रहा है। उसकी नियत ख़राब हो गयी है. लेनदेन की कोई लिखत कोई रसीद नहीं है। मेरी तरह  और भी बहुत से पीड़ित होंगे जिन्हें ये परेशानी होगी. अतः मैंने अपने गुरु श्री  दिनेशराय द्विवेदी, वकील, कानूनी सलाहकार जो की कोटा, राजस्थान से है. उन्होंने मुझे मार्ग दर्शन बहुत ही अच्छे तरह से दिया है. आप सभी भी इनके मार्ग दर्शन का लाभ ले. इसकेलिए मान्यवर का शुक्रिया जिन्होंने इतने अच्छी तरह से जानकारी दी है-

बंटी जी,
आप ने उधार लिया और उसे चुकाने को चैक दिया, दोनों ने कोई गलती नहीं की। आप ने उधार लिया और चैक दे कर रकम चुका दी, बात यहीं खत्म हो चुकी थी। दोनों के बीच कोई लेन-देन शेष ही नहीं रहा था। आप पर कोई कर्ज था ही नहीं लेकिन आप ने उसे दुबारा उसी कर्ज को जो चैक से चुकाया जा चुका था चुकाने के लिए नकद रकम उसे दे दी। इस तरह उक्त व्यक्ति ने आप से दो बार धनराशि वसूल कर ली। जब आप दुबारा नकद राशि दे रहे थे तो या पहले चैक वापस लेना चाहिए था या फिर उस की रसीद लेनी चाहिए थी। गलती आप की है।
आप जो यह कह रहे हैं कि मैं चैक चोरी करने की रिपोर्ट दर्ज करवा सकता हूँ क्या? आप का यह कथन बिलकुल मिथ्या है। आप ऐसा नहीं कर सकते। यदि करते हैं तो उलटे पुलिस आप को एक मिथ्या रिपोर्ट देने के मामले में फँसा सकती है।
चैक से संबंधित कानून धारा 138 अपरक्राम्य विलेख अधिनियम में यह प्रावधान है कि यदि किसी ने किसी को चैक दिया है तो न्यायालय को प्रथम दृष्टया यह मानना होगा कि चैक किसी न किसी दायित्व के अधीन दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि चैक दायित्व के अधीन नहीं दिया गया है तो ऐसा उस व्यक्ति को साबित करना होगा। आप के मामले में आपने चैक दायित्व के अधीन ही दिया था। गड़बड़ी यह हुई है कि आप जिस दायित्व से चैक दे कर मुक्त हो चुके थे वही दायित्व आप ने दुबारा चुका दिया है। वह व्यक्ति आप को चैक बैंक में लगा कर धारा 138 का मुकदमा लगाने की बात कह रहा है वह अपराध कर रहा है।
आप मुसीबत से बच सकते हैं, लेकिन उस के लिए आप को उस व्यक्ति के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करवानी होगी  कि उस व्यक्ति ने यह कह कर कि वह आप का चैक आप को लौटा देगा, आप से नकद रुपया प्राप्त कर लिया और अब चैक नहीं दे रहा है। लेकिन आप के पास यह प्रमाणित करने को सबूत चाहिए कि आप ने उसे उस का रुपया चुका दिया है। यदि आप किसी प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के माध्यम से यह साबित कर सकते हैं कि आप ने उस का रुपया चुका दिया है तो आप ऐसी रिपोर्ट करवा सकते हैं। उस पर पुलिस को कार्यवाही करनी होगी। यदि पुलिस कार्यवाही नहीं करती है तो आप एस.पी. को अपनी रिपोर्ट दें और एस.पी. को रिपोर्ट देने पर भी कार्यवाही नहीं होती है तो इस मामले में न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर वहाँ अपने और अपने साक्षी के बयान करवा कर  न्यायालय को प्रसंज्ञान लेने का निवेदन करें।

बुधवार, 15 जून 2011

छोटी मोटी समस्याएं आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाती हैं

तेलीबांधा तालाब सौन्दर्यीकरण से प्रभावित नागरिको को अस्थाई बोरियाकला हाऊसिंग बोर्ड कालोनी मे विस्थापित किया गया। शासन, प्रशासन, नगर निगम को इतनी जल्दी थी की आधे अधुरे, अपुर्ण फ्लैट के बावजूद सभी प्रभावितों को आबंटन कर दिया गया और बस यही आश्वासन दिया गया कि सभी अधुरे कार्य को मूलभूत समस्याओं को जल्द ही पूर्ण किया जायेगा। जिसमें बिजली, पानी, आवागम, फ्लैट के बचत कार्य इत्यादि। रहते रहते बहुत सी छोटी-मोटी समस्याएं आती ही रहेंगी। परन्तु आवागमन हेतु वाहन व्यवस्था सिटी बस पुर्नवास तक करने के लिए कहा गया था और यह भी कहा गया की प्रत्येक माह सिटी बस पास को नवीनीकरण किया जायेगा। परन्तु दिनांक 25.05.2011 को एक माह पूरा होने पर अब सिटी बस संचालक द्वारा बस का किराया लिया जा रहा हैं।
बोरियाकला से प्रभावित नौकरी, अपने कार्य करने, महिलाएं घरों में काम करने शहर आना होता है। उन्हें मासिक 1,000 रू. से लेकर 1500 रू. मिलता है जो कि बस का किराया 600 रू. देने पर 400 रू. हाथों में बचता है। जिससे आम आदमी अपना गुजर बसर कैसे कर सकता हैं। सरकार द्वारा जब मकानों को तोड़ना था तो प्रभावितों को बहुत से लुभावने वादें किये गये थे और जब मकानों को तोड़ दिया गया तब अपने वादों से मुहं फेरा जा रहा है। बस यही कहा जा रहा है की मंत्री जी देखेगें, अधिकारी देखेगा इत्यादि।
इसी प्रकार से और भी मूलभूत समस्याएं है। विस्थापित किये गये फ्लैट के पीछे खाली छोड़े गये जगह पर ऊपर से ओवरफ्लो का पानी गिरता है। नाली की व्यवस्था ना होने के कारण पीछे गंदगी बहुत अधिक हो गई है और नीचे रहने वालों के घरों में किड़े, मकड़े, मच्छर आदि घुस रहे है। शिकायत करने पर कार्य चल रहा है दिखाने के लिए थोड़ा सा मलबा डाल दिया गया था जो कार्य चालू ना करने की वजह से वहीं जम गया। जब यह हाल अभी से है तो आने वाले बरसात के समय क्या होगा। यदि इसका जल्द ही निराकरण नही किया जायेगा तो आगे चलकर गंभीर परिणाम हो सकती हैं।
जब प्रभावितों को विस्थापित किया जा रहा था तो शासन प्रशासन द्वारा डॉ. की व्यवस्था किया गया था। परन्तु 15 दिन बाद ना तो वह डॉ. दिखा ना ही नगर निगम के कोई अधिकारीगण। 2 दिन पहले की बात है 1 बच्ची की हालत खराब हो गई थी उसे पास के डॉ. के पास लिया गया परन्तु डॉ. नही मिला, उसके घर जाने पर भी नही मिला। आखिर में रायपुर शहर ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी प्रकार से यदि समय पर मरीज को नही लाया जाता तो कौन जिम्मेदार होता।
एक मरीज है जिसके आगे पीछे कोई नही है बस एक मां है। मरीज उठ बैठ नही सकता देखभाल मां के द्वारा किया जाता है। रायपुर में उसकी मां घर के पास ही घरो मे काम करके अपने और अपने बच्चे का पेट भरती थी परन्तु यहां आने के बाद उसका क्या हाल है वहीं जानें। माननीय मंत्री जी को बताने पर उन्होने अधिकारी को देखने कहा था परन्तु मंत्री के सामने अधिकारी ने हां किया मंत्री जाने के बाद आज तक उस अधिकारी का पता ही नही।
शासन, प्रशासन द्वारा बहुत ही अच्छा कार्य किया जा रहा है। परन्तु प्रभावितों की छोटी मोटी मूलभूत समस्याएं है। जिसे आसानी से पूरा किया जा सकता है। यदि यह समस्या पूरा नही हो पा रहा है तो कहीं ना कहीं, किसी ना किसी तरह से कोई तो कमी है। जिसे नगर निगम द्वारा नजर अंदाज किया जा रहा है।
यहीं छोटी मोटी समस्याएं आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाती हैं।

शुक्रवार, 10 जून 2011

बोरियाकला अस्थाई व्यवस्थापित निवासी संघ

''बोरियाकला अस्थाई व्यवस्थापित निवासी संघ'' ने महापौर से मिलकर अपनी निम्नलिखित मूलभूत समस्याओं के निराकरण हेतु ज्ञापन सौपा -
1-     तेलीबांधा तालाब सौन्दर्यीकरण से प्रभावित नागरिकों के लिए प्रभावित स्थल पर बी.एस.यू.पी. योजना के तहत् बनाये जाने वाले मकानों का जल्द निर्माण किया जावें। जिससे निश्चित समयावधि में प्रभावितों का पुर्नव्यवस्थापन हो सकें।
2-     नगर निगम के मकान सर्वे सूची में जिनके नाम त्रुटि के कारण बटांकन में दर्शित/ उल्लेखित है एवं जिनके नाम सर्वे सूची में सूचीबध नहीं है। के प्रकरणों पर मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए, सहानुभुति पूर्वक विचार किया जाकर आर्थिक बोझ से दबे तथा मकान के लिए भटक रहे परिवारों को अविलंब मकान आबंटित किया जावे।
3-     कृछ ही दिनों पश्चात नवीन शिक्षा सत्र प्रारंभ होने जा रहा है, परंतु प्रशासन द्वारा विस्थापितों के बच्चों के शिक्षा हेतु अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा हैं। जिसके कारण बच्चों की शिक्षा दिक्षा में बाधा उत्पन्न होगी। जिसे शासन-प्रशासन द्वारा शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था किया जाना चाहिए ताकि बच्चों की शिक्षा ग्रहण में किसी प्रकार का बाधा उत्पन्न न हो।
4-     वर्षा ऋतृ के आवगम के पूर्व विस्थापित स्थल पर स्थाई अस्पताल की व्यवस्था की जावें जिससे वर्षाकाल में होने वाली विभिन्न बिमारियों से रोकथाम हो सकें तथा कोई विस्थापित नागरिक किसी गंभीर रोग से ग्रसित ना हो।
5-     प्रशासन द्वारा विस्थापितों के आवागमन हेतु सिटी बस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, परन्तु यह सुविधा प्रयाप्त नहीं हैं। सिटी बस निशुल्क पास सुविधा पुर्नव्यवस्थापन तक के लिए जारी किये जाने की घोषणा की गई थी। जिसे एक माह के लिए जारी किया गया था जो दिनांक 25/05/2011 को समाप्त हो गया जिसे पुन: नवीनीकरण किया जावें। जिससे निश्चित समयों में निरंतर सिटी बस की सुविधा प्रदान की जावें तथा प्रतिदिन जीवन यापन हेतु शहर आने वाले आम नागरिकों को बेहतर सुविधा मिल सकें।
6-     बोरियकला हाऊसिंग बोर्ड कालोनी की लचर विद्युत व्यवस्था को दुरूस्त किया जावे। जिससे वर्षा ऋतु में होने वाली असुविधा से बचा जा सकें।
7-     शासन-प्रशासन द्वारा विस्थापित स्थल पर प्रभावितों के शिकायतों के निराकरण के लिए समय समय पर जन शिकायत निवारण शिविरों का आयोजन रखी जावें। जिससे प्रभावितों के मूलभूत समस्याओं से शासन-प्रशासन अवगत हो, समस्याओं के निराकरण में त्वरित कार्यवाही कि जा सकें।
       महापौर महोदया ने इसके जवाब में आश्वासन देते हुए कहा की 23 जून को राष्टपति माननीय प्रतिभा पाटील जी आ रही है जिसके कारण निगम का अमला अभी व्यस्त हैं। आपकी समस्या का सामाधान शीघ्र किया जावेगा।
            महापौर को ज्ञापन सौपने संघ के अध्यक्ष धनेश्वर लहरी, सचिव पार्थव माेंगराज, उपाध्यक्ष बबला मरकाम, कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार, सह कोषाध्यक्ष बंटी निहाल, संगठन सचिव, गिरधारी नायक, भास्कर नायक, मनोहर निहाल आदि उपस्थित थे।