*दर्द - एक विस्थापित का*
आज से 7 वर्ष पूर्व वह मंजर याद है जब हमें घर से बेघर किया जा रहा था उस समय हर व्यक्ति अपने अपने व्यवस्था पर लगा था कोई अपना समान तो कोई अपना सामान समेट रहा था और जिसे मकान आवंटन नहीं हुआ था वह इधर उधर भटक रहा था वह मंजर जब याद आता है तो आंखों पर अंधेरा छा जाता है और आंसू आ जाता है जहां हमारा बचपन बीता जहां हम बड़े हुए हमारा घर हमारा स्कूल हमारे पड़ोसी हमारे लोग सब एक झटके में छूट गए सभी अपने आप को और अपने परिवारों को संभालने में लगे हुए थे रायपुर से कोसों दूर 15 किलोमीटर आउटर पर कैसे संघर्ष करके 7 वर्ष विस्थापित परिवारों ने बिताए हैं यह वही जानते हैं।
*वह 3 माह अंधेरे का कैसे भूल सकते है*
जिन शहर वासियों को हर पल बिजली पानी की आदत हो उन्हें 3 माह अंधेरे में व्यतीत करना एवं पानी के लिए दर दर भटकना और इसी उम्मीद पर की एक-एक दिन बिताना की आज बिजली आएगी, आज पानी मिलेगा वह मंजर आज भी याद है जब अपने मोबाइल एवं एमरजेंसी लाईट को चार्ज करने के लिए दुकानदार को पैसे देना पड़ता था।
*जीवन स्तर का सुधार*
1 दिन की बात है जब हम प्रतिनिधियों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर माननीय रोहित यादव जी से मुलाकात के दौरान उन्होंने एक शब्द कहा था, आप लोगों के जीवन स्तर पर सुधार आया है। इनकी वह बात सोचने लायक थी एक झुग्गी बस्ती का नजारा आंखों पर आते हैं सामने दिखता है कि सड़क पर पानी का बहते रहना नालियों का भरा रहना वह पानी के लिए लड़ाई झगड़ा सकरी सकरी गलियां आदि कॉलोनी पर विस्थापित होने के बाद विस्थापित परिवारों के जीवन स्तर पर सुधार आ रहा था धीरे धीरे उन्हें कालोनियों में रहने का आदत हो रहा था सभी का जीवन स्तर बदल गया था।
*शरीर वहां पर दिल यहां*
उस मुलाकात के दौरान हमने भी कलेक्टर महोदय जी से कहा आदरणीय हम सभी निवास तो बोरियाकला मे कर रहे हैं पर हमारा शरीर वहां है और दिल यहां हैं। और हमने आग्रह किया कि जल्द से जल्द तेलीबांधा में व्यवस्थापन किया जाए.
*प्रेरणा मिली*
7 साल पूर्व तोड़फोड़ पूर्व एक युवा अधिकारी जो निर्णय लेने में सक्षम एवं कम उम्र में आयुक्त के रूप में देखकर उस युवा से एक प्रेरणा मिली कि संघर्ष और सही मार्गदर्शन अब सही दिशा पर चल कर सफलता प्राप्त होती है। वह युवा नौजवान आयुक्त और कोई नहीं आज के हमारे रायपुर शहर के युवा कलेक्टर माननीय ओपी चौधरी जी है आज भी उनका मिलनसार व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
*इन 7 वर्षों में कुछ खट्टी मीठी अनुभव मिला*
शहर से गांव पर विस्थापित के दौरान 7 वर्ष के अंतराल में बहुतों ने अपने परिवार के लोगों को जिनका स्वर्गवास हो गया उन्हें खोया, इस दौरान बहुतो ने अपने रोजगार खोया, आवागमन नौकरी की समस्या रही, अच्छे वक्ता मिले, अच्छे नेतृत्व करने वाले मिले, जीवन स्तर पर सुधार हुआ कुछ अच्छे अधिकारी कर्मचारी 7 वर्षों में मिले.
*सभी का साथ एवं सहयोग मिला विशेषकर स्थानीय विधायक सत्यनारायण शर्मा जी का*
रायपुर से शहर से गांव पर आकर विस्थापित होने पर बहुत सी विभिन्न प्रकार की मूलभूत समस्याएं आई हमारे हर सुख और दुख मैं स्थानीय विधायक माननीय सतनारायण शर्मा जी का बहुत सहयोग मिला आधी रात हो या दिन हमारे करीब पाए जाते थे हमारी मूलभूत सुविधाएं बिजली पानी सफाई सभी चीजों के लिए शर्मा जी का सहयोग मिलता रहा एवं तेलीबांधा बीएसयूपी मकान के निर्माण में हो रहे देरी पर भी स्थानीय विधायक के द्वारा प्रतिनिधि मंडल के साथ लगातार कभी मंत्रालय कभी CM हाउस तो कभी नगर निगम हमेशा हमारे इस संघर्ष में विधायक जी का साथ मिला।
एक बड़ी लंबी लड़ाई और संघर्ष के बाद हम गरीबों झुग्गी वासियों को अपना हक एवं अधिकार मिला इस संघर्ष में अनेकों समाजसेवियों बुद्धिजीवियों जनप्रतिनिधियों छात्र-छात्राओं गरीब मजदूर हर वर्ग और हर समुदाय एवं मीडिया का भरपूर सहयोग मिला इस संघर्ष के परिणाम स्वरुप आज हमें अपने सपनों का आशियाना मरीन ड्राइव कॉलोनी तेलीबांधा के रूप में मिला।
इस सपने को पूरा करने जिन लोगों ने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से हमारा सहयोग किया है हम विस्थापित परिवार गढ़ उनका जीवन भर आभारी रहेंगे। और उनका छोटा सा सम्मान दिनांक 10 जुलाई 2018 की शुभ संध्या में पश्चिम उड़ीसा के स्टार गायक खुश होना के रंगारंग कार्यक्रम के साथ किया जाएगा।
बंटी निहाल,
सचिव, गांड़ा महासभा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें