तेलीबांधा तालाब सौन्दर्यीकरण से प्रभावित नागरिको को अस्थाई बोरियाकला हाऊसिंग बोर्ड कालोनी मे विस्थापित किया गया। शासन, प्रशासन, नगर निगम को इतनी जल्दी थी की आधे अधुरे, अपुर्ण फ्लैट के बावजूद सभी प्रभावितों को आबंटन कर दिया गया और बस यही आश्वासन दिया गया कि सभी अधुरे कार्य को मूलभूत समस्याओं को जल्द ही पूर्ण किया जायेगा। जिसमें बिजली, पानी, आवागम, फ्लैट के बचत कार्य इत्यादि। रहते रहते बहुत सी छोटी-मोटी समस्याएं आती ही रहेंगी। परन्तु आवागमन हेतु वाहन व्यवस्था सिटी बस पुर्नवास तक करने के लिए कहा गया था और यह भी कहा गया की प्रत्येक माह सिटी बस पास को नवीनीकरण किया जायेगा। परन्तु दिनांक 25.05.2011 को एक माह पूरा होने पर अब सिटी बस संचालक द्वारा बस का किराया लिया जा रहा हैं।
बोरियाकला से प्रभावित नौकरी, अपने कार्य करने, महिलाएं घरों में काम करने शहर आना होता है। उन्हें मासिक 1,000 रू. से लेकर 1500 रू. मिलता है जो कि बस का किराया 600 रू. देने पर 400 रू. हाथों में बचता है। जिससे आम आदमी अपना गुजर बसर कैसे कर सकता हैं। सरकार द्वारा जब मकानों को तोड़ना था तो प्रभावितों को बहुत से लुभावने वादें किये गये थे और जब मकानों को तोड़ दिया गया तब अपने वादों से मुहं फेरा जा रहा है। बस यही कहा जा रहा है की मंत्री जी देखेगें, अधिकारी देखेगा इत्यादि।
इसी प्रकार से और भी मूलभूत समस्याएं है। विस्थापित किये गये फ्लैट के पीछे खाली छोड़े गये जगह पर ऊपर से ओवरफ्लो का पानी गिरता है। नाली की व्यवस्था ना होने के कारण पीछे गंदगी बहुत अधिक हो गई है और नीचे रहने वालों के घरों में किड़े, मकड़े, मच्छर आदि घुस रहे है। शिकायत करने पर कार्य चल रहा है दिखाने के लिए थोड़ा सा मलबा डाल दिया गया था जो कार्य चालू ना करने की वजह से वहीं जम गया। जब यह हाल अभी से है तो आने वाले बरसात के समय क्या होगा। यदि इसका जल्द ही निराकरण नही किया जायेगा तो आगे चलकर गंभीर परिणाम हो सकती हैं।
जब प्रभावितों को विस्थापित किया जा रहा था तो शासन प्रशासन द्वारा डॉ. की व्यवस्था किया गया था। परन्तु 15 दिन बाद ना तो वह डॉ. दिखा ना ही नगर निगम के कोई अधिकारीगण। 2 दिन पहले की बात है 1 बच्ची की हालत खराब हो गई थी उसे पास के डॉ. के पास लिया गया परन्तु डॉ. नही मिला, उसके घर जाने पर भी नही मिला। आखिर में रायपुर शहर ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी प्रकार से यदि समय पर मरीज को नही लाया जाता तो कौन जिम्मेदार होता।
एक मरीज है जिसके आगे पीछे कोई नही है बस एक मां है। मरीज उठ बैठ नही सकता देखभाल मां के द्वारा किया जाता है। रायपुर में उसकी मां घर के पास ही घरो मे काम करके अपने और अपने बच्चे का पेट भरती थी परन्तु यहां आने के बाद उसका क्या हाल है वहीं जानें। माननीय मंत्री जी को बताने पर उन्होने अधिकारी को देखने कहा था परन्तु मंत्री के सामने अधिकारी ने हां किया मंत्री जाने के बाद आज तक उस अधिकारी का पता ही नही।
शासन, प्रशासन द्वारा बहुत ही अच्छा कार्य किया जा रहा है। परन्तु प्रभावितों की छोटी मोटी मूलभूत समस्याएं है। जिसे आसानी से पूरा किया जा सकता है। यदि यह समस्या पूरा नही हो पा रहा है तो कहीं ना कहीं, किसी ना किसी तरह से कोई तो कमी है। जिसे नगर निगम द्वारा नजर अंदाज किया जा रहा है।
यहीं छोटी मोटी समस्याएं आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाती हैं।
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