मेरी शादी की पहली वर्षगांठ पर श्री जगरन्नाथ पुरी धाम गया था। अब दुसरी वर्षगांठ पर मैने सांई बाबा के दर्शन करने के लिए पुरे परिवार सहित ( माता, पिता, दो भाई एक बहन तथा मैं और मेरी पत्नी ) शिर्डी जाने का सोच रहा था। मेरे आफिस स्टाफ श्री दिनेश शर्मा जी और उनकी धर्म पत्नी 2 बार शिरडी जाकर आ चुके थे। तो मैने उन्ही से पुछ कर पुरा प्रोग्राम बनाया। मेरी वर्षगांठ दिनांक 19.02.2009 को थी उसी हिसाब से मैने दिनांक 16.02.2009 से 20.02.2009 तक का प्रोग्राम बनाया और रेल टिकट रिजरवेश्न करवाया। आखिरी समय में मेरे छोटे भाई द्वारा अपने बॉस से 5000/- रू. एडवास की मांग किया था जिसे किसी कारणवश 3000/- रू. ही मिल पाया चूंकि पुरा प्रोग्राम बना लेने के बाद अंतिम समय में हमें धोखा हो गया। क्योंकि प्रोग्राम बन चुका था सो हम सभी निकल पड़े।
दिनांक 17.2.2009 को हम सहपरिवार शिरडी पहूंचे और बाबा दर्शन कर औरंगाबाद, शनिसिंगनापुर, और अंत में नासिक से वापसी का ट्रेन रात 1:30 बजे का था तो नासिक सुबह घुमकर रात को 7 बजे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन का इंतजार वहीं बैठकर किया। टे्रन सही समय पर आई और हम सभी ट्रेन पर चढ़ गये। बहुत भीड़ भाड़ थी ट्रेन में हम अपने बर्थ नं. पर जैसे ही पहुंचे तो देखा की कोई और हमारे सीट पर सोया हुआ हैं। तो उसे मैने उठाया और कहा- भाई साहब ये हमारा नं. हैं। तो उसने कहा कि उसे टी.टी. ने यह सीट दिया हैं। पास बैढे एक सज्जन ने कहा आज बहुत ही भीड़ भाड़ है और लिस्ट रिन्यु किया गया है आप टी. टी. से बात करे शायद आपको दुसरा बर्थ हो गया हैं। मैं और मेरा छोटा भाई दोनों टी.टी. जी से मिलने पहुंचे टी. टी. ने बहुत देर तक खोज बीन किया और परेशान होकर कहा आपका नं. नही मिल रहा हैं। मैने कहा ठीक से देखिए तो उसने फिर से खोजना चालु किया अंत में उसने कहा अरे आपसे भुल हो गई है यह टिकट कल की हैं। क्योंकि 12 बजे के बाद दुसरा दिन चालु हो जाता हैं। यह कल रात 1:30 बजे की है आपको कल बैठना था।
मैं और मेरा भाई परेशान हो गये। हमें कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करें। मैने टी.टी से कहा सर अब क्या करें हम। टी.टी. ने कहा आगे चलकर बहुत बडी मुसीबत में फंस जाओगे कुछ पैसे है क्या ? तब मेरे छोटे भाई ने कहा सर हम तो इसी टिकट के भरोसे है क्योंकि सारे पैसे तो खर्च हो गये हैं। टी.टी. ने आगे उतर जाने कहा और चल दिया। मैं और मेरा भाई समझ नही पा रहे थे कि क्या करें। घर वालो के पास आकर सारी बात बताई सभी परेशान हो गये। हमारे पास के सीट में बैठे सज्जन ने कहा कि अभी तुम यहीं बैठो तुम्हारी गलती थोड़ी है भुल हो गई है रिर्जेशन तो कराया ही था ना। कोई आयेगा तो हम बात करेंगे। तभी उपर से दुसरे सज्जन ने कहा कि क्राईम स्काड अगर आ गया तो ये नही बचेगें। बहुत लंबा चार्ज लगेगा। तभी पहले वाले सज्जन ने कहा ठीक है भुसावल स्टेशन तक कोई और टी.टी. नही आयेगा। तब तक सोचते हैं। फिर थोडी देर तक वहीं बैठे सभी मन ही मन भगवान को याद कर रहे थें। फिर पहले वाले सज्जन ( समीर ) ने कहा - एक काम करों मेरा नंबर रखो क्योंकि मैं अभी मीटींग से आ रहा हूं और मेरे पास पैसे नही है नही तो मैं सभी का टिकट करवा देता एक काम करना सभी भुसावल में उतर कर जनरल बोगी में बैठ जाना वहां अगर टी. टी. या स्कावड वाले आते है तो बात करना नही तो सेगांव मेरा आखिरी स्टेशन हैं।
यदि उसके आस पास तुमको उतरा जाता है तो मुझे फोन करना मै तुम्हारी मदद कर दुंगा। मैने व परिवार वालो ने उसे बहुत धन्यवाद दिया उसने कहा अरे कोई बात नही सोचना की उपर वाले ने मुझे तुम्हारी मदद के लिए भेजा हैं। फिर भुसावल स्टेशन के आते ही हम सभी उतर कर जनरल बोगी में बैढ गये। उसने हमारी बहुत मदद की ट्रेन चालु हो गई। मन में बस यही ख्याल था की कैसे किया जायें। मैने सभी को सोने कहा और जागता रहा बस हर स्टेशन पर मेरी नजर टी.टी. पर था। और डर सा लगा था परन्तु थोडा सा मन में संतोष था की सेगांव तक कुछ नही हो सकता। धीरे धीरे सेगांव भी चला गया टी. टी. नही आया फिर डर लगने लगा अब क्या होगा। फिर सोचा नागपुर में यदि उतरना पड़ा तो वहां पहचान के हैं किसी तरह नागपुर पहुंच जायें। फिर नागपुर आ गया परन्तु टी.टी. नही आया अब बस यही ख्याल था कि किसी तरह राजनांदगांव आ जायें। बस क्या था धीरे धीरे राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग फिर रायपुर आया हमें आखिर तक किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नही हुई और पुरे परिवार सहित सही सलामत रायपुर पहुंच गयें। सभी ने साक्षात् सांई बाबा का चमत्कार देखा और बाबा को धन्यवाद किया। क्योंकि मेरा फोन का बैटरी लो था और बंद हो गया।
दुसरे दिन मै आफिस गया तभी फोन आया और वह सज्जन पुरूष (समीर) ने कहा कि क्या हुआ सही सलामत पहुंचे की नहीं। मैने बहुत बार फोन लगाया मगर बात नही हो सकी। मेरे मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे तुम लोगों के साथ क्या हुआ सोच सोच कर परेशान था फोन भी नही लग रहा था। मैने उन्हे धन्यवाद दिया और कहा यदि आप नही होते तो हमारा क्या होता। तो उन्होने मुस्कुराते हुये कहा भाई सब उपर वाले का चमत्कार है जो उसने मुझे भेजा तुम्हारे पास उसी को धन्यवाद दों। फिर मैने उसे धन्यवाद दिया उसने कहा कभी आओं हमारे गांव में घुमने मेरी आंख भर आई। उन्होन कहा फोन करते रहना कह कर फोन काट दिया।
आज के दुनिया में ऐसे लोग भी रहते हैं जो दुसरो के बारे सोचतें हैं उन्हे क्या फर्क पडता अगर वे फोन नही करते उन्होने अपने से फोन किया और हाल चाल पुछा मैने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद दिया