सोमवार, 30 मई 2011

तेलीबांधा प्रोजेक्ट पर तलवार


                रायपुर.नगर निगम के ड्रीम प्रोजेक्ट तेलीबांधा में 5 मकानों को खाली कराकर जमींदोज करने में एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। अदालती आदेश मकान मालिकों के हक में आने के बाद निगम का पूरा प्रोजेक्ट ही लंबित हो जाएगा। 
             निगम इस कवायद में था कि एक साल के भीतर प्रोजेक्ट के 720 मकान बनाकर बोरियाकला में विस्थापितों को पुनर्वासित कर दिया जाए। मगर हाईकोर्ट से मिले स्टे के बाद प्रोजेक्ट साल भर के अंदर किसी भी हालत में पूरा नहीं हो सकता है। ये पांचों मकान प्रोजेक्ट के बीचोबीच अवरोध बनकर खड़े रहेंगे।              तत्कालीन कमिश्नर ओपी चौधरी ने राजीव आश्रय योजना के पट्टों को निरस्त करने के लिए दो महीने पहले ही जिला प्रशासन को पूरा प्लान बनाकर दे दिया था। मगर पट्टे 4 अप्रैल के आसपास ही निरस्त हो सके। जिला प्रशासन ने आनन-फानन में 160 पट्टों को निरस्त किया। मगर नजूल के स्थाई पट्टों को निरस्त करने में जिला प्रशासन से चूक हो गई। अफसरों का कहना है कि पांचों मकान मालिकों को 30 साल की स्थायी लीज मिली हुई थी। स्थायी लीज होने के कारण कलेक्टर भी इन्हें निरस्त नहीं कर सके। कानून के जानकारों के मुताबिक दो ही स्थिति में निगम पट्टों को निरस्त करा सकता है। 
                पहला आपसी सहमति के बाद मुआवजा दे दिया जाए या फिर पांचों मकान मालिकों का उचित विस्थापन किया जाए।

तालाब के अंदर के पट्टे कैसे मिले - 
तेलीबांधा में झुग्गी झोपड़ी तोड़ने के बाद अफसर इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर तालाब के पानी के अंदर बनी झोपड़ियों के पट्टे कैसे दे दिए गए। जिस वक्त पट्टे दिए गए उसकी अगर जांच की जाए तो बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हो सकता है।

बिना अनुमति बना लिए भवन - 
तेलीबांधा के आसपास बनी झुग्गी झोपड़ी वालों ने शानदार व आलीशान मकान केवल पट्टे खरीदकर ही बना लिए। अधिकांश केस में निगम से किसी भी का मकान का नक्शा पास नहीं कराया गया। जितने भी मकान तोड़े गए उसमें से किसी ने भी मकान बनाने की अनुमति नहीं ली थी।

प्रोजेक्ट में थे दो तरह के पट्टे  - 
कलेक्टर डा. रोहित यादव ने बताया कि नगर निगम ने तेलीबांधा की झुग्गी झोपड़ी के व्यवस्थापन को राजीव आश्रय योजना में लिया था। उसके तहत 160 पट्टों को निरस्त करने की लिस्ट बनाकर दी गई थी। मगर इसके अलावा भी कुछ पट्टे नजूल लैंड की फ्री होल्ड पर थी। 
          इसका 30 साल का स्थाई पट्टा था। पट्टा धारी बाकायदा भू-भाटक भी देता रहा है। आपसी सहमति व मुआवजे के बाद ही इन पट्टों को निरस्त किया जा सकता था। वो अधिकार क्षेत्र के बाहर था। इसलिए पट्टे निरस्त नहीं किए गए।
          "कोर्ट के निर्णय के बाद ही पांच मकानों पर निर्णय लिया जाएगा। पांच मकानों को छोड़ दिया गया है। बाकी सभी मकानों को खाली कराकर तोड़ा जा रहा है।" 
तारण सिन्हा, अतिरिक्त कमिश्नर 


केविएट के बाद भी स्थाई पट्टे पर - "स्टे इसलिए मिला क्योंकि इन्हें निरस्त नहीं किया गया। प्रोजेक्ट से पहले अगर इन्हें निरस्त कर दिया जाता तो स्टे नहीं हो पाता।" 
पंकज अग्रवाल, 



वकील तय नहीं कर पा रहे क्या-क्या करेंगे - तेलीबांधा प्रोजेक्ट के तहत पूरी बस्ती को जमींदोज कर करने के बाद भी निगम इस प्रोजेक्ट का फूल प्रूफ प्लान नहीं बना सका है। हर दूसरे दिन कोई न कोई नई योजना की घोषणा की जा रही है। यानी अब तक तय नहीं हुआ है कि प्रोजेक्ट किस स्वरूप में आकार लेगा, जबकि 650 परिवारों का आशियाना उजड़ चुका है।

              शुक्रवार को निगम ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट में तालाब के आकार को शामिल कर लिया। पांच दिन की तोडफ़ोड़ के बाद यह घोषणा की गई कि तालाब को दिल के आकार का शेप दिया जाएगा। ऊंची मंजिल से देखने पर वह दिल का नमूना नजर आएगा। 
              तालाब को इस नए शेप में ढालने के लिए जीई रोड वाले तालाब के किनारे स्थित आरडीए के कांप्लेक्स और पिंड बलूची रेस्टोरेंट को भी तोड़ा जाएगा। इन भवनों को तोड़ने के बाद खाली होने वाली जमीन तालाब में शामिल की जाएगी। अभी तक यह निगम के प्लान में नहीं था। इसी तरह तालाब के एक हिस्से में स्थित नेत्र चिकित्सालय के गार्डन का हिस्सा भी प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया जाएगा।


तालाब का पार बढ़ेगा - तेलीबांधा प्रोजेक्ट बनने के बाद तालाब का पार बढ़ जाएगा। तालाब 16 हेक्टेयर में था। इसमें से अभी तालाब का पानी 11 हेक्टेयर में बचा है। अतिक्रमण हटने के बाद 5 हेक्टेयर की जमीन 

खाली कराई गई है। 4 हेक्टेयर की जमीन यानी 10 एकड़ के लगभग जमीन पर प्रोजेक्ट को लाया जा रहा है। खाली हो रही जमीन में से ढाई से तीन एकड़ तालाब बढ़ जाएगा। 

          12 हेक्टेयर वाटर बाडी के बाद रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी। 4 हेक्टेयर के हिस्से में तीन किमी का पाथ वे, गार्डन, पार्किग स्पेस, फूड जोन, कामर्शियल कांप्लेक्स, सामुदायिक भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व मंदिर बनाने का प्लान है।


वर्क आर्डर में देरी - बस्ती खाली होने के बाद वर्क आर्डर जारी किया जाना था। मगर प्लान तैयार नहीं हुआ है इसलिए वर्क आर्डर जारी करने में काफी देरी होने के संकेत मिल रहे हैं।



वाटर प्यूरीफिकेशन प्लांट- तालाब के किनारे वाले हिस्सों में वाटर प्यूरीफिकेशन प्लांट भी बनाया जाएगा। साथ ही तालाब के अंदर की मिट्टी को निकालकर गहरीकरण भी किया जाएगा। इसके लिए 12 करोड़ रुपए का अलग से प्रावधान किया गया है।

             "तालाब को दिल का आकार देने की कोशिश है। पाथ वे 3 किमी का बनाया जाएगा। जल विहार कालोनी के दोनों गार्डनों को पाथ वे से जोड़ दिया जाएगा। प्रोजेक्ट को सही स्वरूप देने के लिए जीई रोड के कुछ  हिस्सों में भी तोडफ़ोड़ की जाएगी।"  
किरणमयी नायक, महापौर


प्रोजेक्ट कास्ट- 24 करोड़ 36 लाख 

>टेंडर कास्ट 24 करोड़ 35 लाख। 
>एक मकान की कीमत- तीन लाख 36 हजार। 
>अधोसंरचना मद में सड़क, पानी, बिजली व ओवरहेड टैंक के पीछे एक मकान पर 70 हजार होंगे खर्च। 
>एक मकान बनेगा 2 लाख 64 हजार में। 
>ओमनी इंफ्रास्ट्रक्चर व सीनटेक्स ने डाला था टेंडर। 
>ओमनी इंफ्रास्ट्रक्चर को मिला टेंडर। 
>दोनों कांट्रेक्ट में था एक करोड़ का अंतर। 
>चार बार हुआ टेंडर का नेगोशियेशन 

सौजन्य - दैनिक भास्कर, रायपुर 

शनिवार, 28 मई 2011

सुचारू व्यवस्था की मांग.


रायपुर. हरिभुमि. बोरियाकला में विस्थापित रहवासियों की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गुरूवारा को चली अंधड  में विधूत व्यवस्था ठप हो गई। निवासियों को जल एवं विधुत आपुर्ति नही होने पर भारी परेशानी का सामना कर। बोरियाकला अस्थाई निवासी संघ के अध्यक्ष धनेश्वर लहरी ने बताया की निगम प्रशासन ने हाऊसिंग बोर्ड का कार्य पूर्ण किये बैगर ब्यवस्थापन कर दिया गया। संघ ने नगरीय प्रशासन मंत्री, महापौर, जिलाधीश  एवं निगम आयुक्त से समस्याओं के निराकरण के लिए मांग की है। सौजन्य - हरिभूमि समाचार पत्र 

.........तो उग्र आंदोलन करेंगे विस्थापित

रायपुर. नवभारत समाचार. तेलीबांधा प्रोजेक्ट के कारण विस्थापित किये गये सैंकड़ों परिवारों की ओर से बोरियाकला अस्थ्ज्ञायी विस्थापित निवासी संघ ने महापौर डा. किरणमयी नायक से अपना वादा पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है. संघ ने कहा कि अब तक नागरिकों ने नगर निगम एवं जिला प्रच्चासन को हर कदम पर सहयोग दिया हैं। कहीं ऐसा न हो कि नागरिक उग्र आंदोलन करने बाध्य हो जायें। 
संघ के अध्यक्ष धनेश्वर लहरी ने कहा कि तालाब के किनारे बसी तीन बस्तियों के सैकड़ों  परिवारों को महापौर ने अच्छी आवास व्यवस्था देने का बीड ा उठाया है। जिसमें किसी प्रकार की राजनीति, छल-कपट एवं गुमराह करने की स्थिति निर्मित नहीं होने देने का वादा महापौर ने किया है। प्रभावितों के साथ महापौर ने कई बार बैठक की। प्रत्येक बिन्दुओं पर योजना की जानकारी दी गई। प्रभावितों ने महापौर व जिला प्रच्चासन के अफसरों को पूरा सहयोग दिया। बोरियाकला में आर्थिक बोझ बढ ने और असुरक्षा के बीच भी लोग रहने तैयार हो गये। जिंदगी भर की मेहनत से बनाये गये घर को टूटता देखने के बाद वे व्यवस्थापन का दंश  झेल रहे हैं। इस उम्मीद में कि वादे के मुताबिक एक साल में योजना के मुताबिक आवास मिलेगा। किन्तु विभिन्न प्रकार के भ्रामक समाचारों से विस्थापितों को संदेह होने लगा है। संघ ने मांग की कि जल्द ही तेलीबांधा प्रोजेक्ट का काम तेज करें, अन्यथा शांतिपूर्ण सहयोग देने वाले उग्र कदम उठाने बाध्य होंगे। सौजन्य - नवभारत  समाचार पत्र 


बदइंतजामी से जूझ रहे तेलीबॉंधा विस्थापित


          रायपुर (निप्र)। तेलीबांधा तालाब से विस्थापित होकर गए बोरियाकला गए लोग अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं। नई जगह में पानी, बिजली और साफ-सफाई का अभाव है। शहर तक आने-जाने में लोगों के ४० से ६० खर्च हो रहे हैं। तेलीबांधा से जलविहार, उत्कल बस्ती, गंगानगर, सुभाषनगर के तकरीबन ८०० परिवारों को बोरियाकला में शिफ्ट किया गया। शिफ्टिंग के दौरान कई तरह से सुविधाएं देने की बात भी की गई थी, मगर आज तक सुविधाओं से लोग महरूम हैं। धनेश्वरी लहरी ने बताया कि आंधी से बिजली लाइन बंद हो गई है, मगर ३० घंटे बाद भी इसको सुधारा नहीं गया है।
          किसी का अहित नहीं होगाः निगम सभापति संजय श्रीवास्तव ने तेलीबांॅधा योजना का निरीक्षण करते हुए जनता का आश्वस्त किया है कि उनका किसी भी प्रकार से अहित नहीं होगा। शुक्रवार को देवारबस्ती, सुभाषनगर के लोगों ने उन्हें समस्याओं को लेकर अवगत कराया। सभापति ने निगम एवं जिला प्रशासन के साथ तेलीबांॅधा में तो़ड़फो़ड़ के बाद सकारात्मक रूप से इसके विकास की बात कही। उन्होंने कहा कि खाली जमीन का सर्वे कर निगम और सरकार तालाब का  सीमांकन कराएगी। - सौजन्य - नईदुनिया समाचार पत्र 

गुरुवार, 26 मई 2011

१ रू., २ रू. चांवल, शराब में दी गई सब्सीडी है।



गरीबों को १ रू., २ रू. किलो में दिया गया चांवल दरअसल सरकार द्वारा शराब में दी गई सब्सीडी है। -               छ.ग. में जनता को सार्वजनिक चांवल वितरण प्रणाली से १ रू. तथा २ रू. प्रति किलो के हिसाब से प्रति व्यक्ति १७ किलो चांवल दिया जाता है। ऐसा कर छ.ग. सरकार ने पूरे देश में वाहवाही हासिल की है। यह बात बहुत अच्छी सोच के साथ शुरू किया गया था परंतु इसका गरीब तबको में बहुत अधिक बुरा असर हुआ है। दरअसल केन्द्र की नरेगा योजना के तहत प्रत्येक गरीब व्यक्ति को न्यूनतम दर से १०० दिन प्रति वर्ष कार्य दिया जाता है जो कि महीने में कम से कम १० दिन तो हो ही जाता है।
                इसके अतिरिक्त वे बचत पूरे माह किसी ना किसी कार्य में लगाकर पैसा कमाने की कोशीश करते हैं। जो चांवल पहले उन्हें ३५० रूपये में मिलता था वह अब केवल ३४ रूपये में मिलता है। इस प्रकार से जो बचने वाला पैसा है उसका उपयोग उनके द्वारा सबसे अधिक शराब पीने में हो रहा है। लेवर कम काम कर शराब पर पैसा अधिक खर्च कर रहा है। यदि गहराई में जाये तो ऐसा लगेगा कि छ.ग. सरकार द्वारा चांवल में सब्सीडी नही बल्कि शराब में सब्सीडी दे रही है। - बंटी निहाल, रायपुर छ.ग.

सोमवार, 16 मई 2011

नहीं उठ रहा मलबा, अधर में योजना


              रायपुर। नगर निगम प्रशासन तेलीबांधा तालाब के किनारे खाली कराई गई बस्तियों का मलबा अब तक नहीं उठा सका है। समय पर मलबा नहीं उठा तो प्रोजेक्ट में देरी होने की आशंका है।  पंडित जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के बीएसयूपी योजना के तहत तेलीबांधा तालाब के किनारे 24 करोड़ की लागत से गरीबों के लिए पक्के मकान बनाए जाने हैं। इसके लिए 800 से अधिक परिवारों को बोरियाकला स्थित ट्रांजिट होस्टल में शिफ्ट किया गया है। मकानों का लाखों टन मलबा तालाब किनारे ही पड़ा हुआ है। जब तक मलबा नहीं हटाया जाएगा, आगे का काम शुरू नहीं हो पाएगा। बारिश आने से काम पूरी तरह प्रभावित हो सकता है। इससे पक्के फ्लैट बनाने की योजना पर पानी फिर सकता है।
15 दिन में हटेगा मलबा - हफ्ते भर पहले तेलीबांधा तालाब के सारे अवैध मकानों को गिराने के बाद मलबा जस का तस पड़ा हुआ है। अफसरों ने दावा किया था कि बारिश से पहले मलबा हट जाएगा। मलबा हटने के बाद बारिश खत्म होते ही खुदाई व सौंदर्यीकरण का काम होगा। मगर मलबा नहीं हटा। एडिशनल कमिश्नर तारण सिन्हा का कहना है कि अगले पंद्रह दिन के अंदर तालाब के चारों ओर का मलबा हटा लिया जाएगा। इसके बाद गहरीकरण का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।

बड़े नेता, मंत्री, उच्च अधिकारी से सम्बन्ध - बनोगे लखपति, नहीं तो रह जाओगे रोडपति


              नगर निगम रायपुर से तेलीबांधा तालाब प्रोजेक्ट ( तालाब में बसे झुग्गी बस्ती को हटाकर तालाब का सौन्दरियाकरण कर, तालाब के पास बी एस यू पि योजना के तहत फ्लैट बनाकर देना है ) वहां के निवासी को अस्थाई तौर पर अभी २ साल के लिए जब तक योजना पूर्ण नहीं होता तब तक बोरियाकला में शिफ्ट किया गया है. जिसमे जितने निवासी आते है उन्हें फ्लैट दिया गया है. 
              इस योजना के तहत बहुत से लोगो को फ्लैट दिया गया. परन्तु बहुत से फर्जी लोगो को भी दिया गया. जब सर्वे किया गया था तो सर्वे में बहुत सी गलतिया थी. जिससे मकान मालिक को न मिलकर किरायेदार को मिल गया, इस प्रकार से बहुत से लोगो को फर्जी मिलगया है और बहुत से लोगो को मिलना था तो नहीं मिल पाया, क्योकि मुझे मालूम है की बहुत से लोगो से पार्षद व् स्थानीय निवासी द्वारा मिलकर यह कहकर की अधिकारियो को पैसा देना है. पैसा लिया गया है. 
             इस योजना से मैं भी प्रभावित हूँ, मुझे मकान मिल गया परन्तु बड़े पापा के लड़के (मेरे भाई) को नहीं मिला. मुझे मालूम  है की कितने लोगो को फर्जी मिला है. जबकि इसी अधर पर दूसरों को मिला है. मैंने बार बार महापौर व् आयुक्त से निवेदन किया परन्तु कुछ नहीं हो पाया बस आश्वासन ही मिला. जो लोगो का बड़े नेता, मंत्री, उच्च अधिकारी से सम्बन्ध है व् जिन्होने पैसा दिया उन्हें मिला.
मैंने सुचना  के अधिकार के तहत निम्नलिखित  जानकारी मांगी है ? 
१. तेलीबांधा में सर्वे किया गया है उसकी लिस्ट. 
२. अस्थाई फ्लैट दिए गए उन लोगो की लिस्ट. 
                बस अब यही सोच रहा हूँ की भाई के पूरी फैमली ( ५ लोग) इच्छा मुर्तियु, आत्म हत्या कर सोई हुई शासन का आँख खुलवाना है. कम से कम बहुत से लोगो का भला तो होगा 

तेलीबांधा का खामोश खेल

           तेलीबांधा तालाब के किनारे खाली होने वाली दस एकड़ जमीन में से तीन एकड़ में रिहायशी कॉम्प्लेक्स बनाकर लोगों को बसा दिया जाएगा। बाकी सात एकड़ जमीन का क्या होगा? इस सवाल पर नगरीय प्रशासन विभाग से नगर निगम तक रहस्यमयी खामोशी है। अफसरों के मुताबिक इसे विकसित करने की योजना अब तक फाइनल नहीं हो सकी है। पहली खबर महापौर किरणमयी नायक की तरफ से आई है कि बची हुई जगह में दो गार्डन बनेंगे और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के शो-रूम या रेस्टॉरेंट खोले जा सकते हैं। माना जा रहा है कि बची सात एकड़ जगह पर कोई बड़ी व्यावसायिक तिकड़म करने की तैयारी है।राज्य में यह पहला मामला है जिसमें दस एकड़ जगह से कब्जे हटाए जाने हैं।
             नगर निगम ने अब तक जितनी भी जगह कब्जे साफ किए, वहां का प्लान पहले ही तैयार कर लिया। तेलीबांधा के मामले में तीन एकड़ का प्लान तो तैयार है, लेकिन बचे हुए सात एकड़ के बारे में कोई योजना ही नहीं है। नगरीय प्रशासन मंत्री और सचिव से लेकर महापौर और निगम के आला अफसर सिर्फ यही कह रहे हैं कि गार्डन वगैरह डेवलप किए जाएंगे। अभी इसकी प्लानिंग बाकी है।
प्लान ही नहीं किया - सात एकड़ पर क्या बनेगा, इसका प्लान अभी नहीं बना है। सिर्फ इतना कह सकता हूं कि एक इंच जमीन बरबाद नहीं होगी। व्यावसायिक इस्तेमाल की भी कोई योजना नहीं है।राजेश मूणत, मंत्री-नगरीय प्रशासन
कम्पनियों को कुछ हिस्सा - बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को सामने का कुछ हिस्सा दिया जा सकता है। शेष हिस्से में गार्डन डेवलप किए जाएंगे। मरीन ड्राइव की तर्ज पर फोरलेन सड़क भी बनेगी।डॉ. किरणमयी नायक, महापौर, रायपुर
टेंडर भी चुपचाप - नगर निगम ने रिहायशी कॉम्प्लेक्स बनाने का काम मुम्बई की कम्पनी ओमनी प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। यह कम्पनी अहमदाबाद में भी इसी तरह का रिहायशी इलाका डेवलप कर रही है। मकान बनाने का ठेका 24 करोड़ 36 लाख रूपए में दिया गया। कॉम्प्लेक्स के टेंडर खामोशी से दिसम्बर 2010 में ही हो गए। निगम अफसरों का दावा है कि ई-टेंडरिंग थी, इसलिए चर्चा नहीं हुई।
नहीं कर सकते दूसरा उपयोग - नगरीय प्रशासन विभाग से जुड़े कुछ आला अधिकारियों ने बताया कि तेलीबांधा तालाब के किनारे की जगह का कोई दूसरा उपयोग नहीं किया जा सकता। तालाब के वॉटर बॉडी को दुरूस्त करने के लिए केंद्र सरकार ने करीब 28 करोड़ रूपए दिए हैं। वहां रायपुर विकास प्राधिकरण ने पाथ-वे बनाया है, जिसे नगर निगम को सौंप दिया जाएगा। केंद्र सरकार की इस योजना के अनुसार तेलीबांधा तालाब को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए राशि दी गई है और उसे कब्जामुक्त कराने के बाद बची जमीन का अन्य इस्तेमाल करना प्रतिबंधित किया गया है।
सुलगते सवाल - तेलीबांधा तालाब को कब्जामुक्त कराने में नगर निगम के प्रशासन ने इतनी तत्परता क्यों दिखाई?
कब्जामुक्त कराने से पहले नगर निगम ने खाली जमीन के उपयोग के बारे में कोई ठोस योजना क्यों नहीं बनाई?
तालाब के कब्जामुक्त होते ही हाईकोर्ट से स्थगन मिलना किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं। अगर ऎसा नहीं है तो कार्रवाई शुरू करने से पहले नगर निगम ने हाईकोर्ट में कैविएट क्यों नहीं लगाई?
अरबों रूपए की लागत वाली इस जमीन की सुरक्षा के लिए नगर निगम प्र्रशासन ने क्या योजना बनाई है?
कब्जा हटाने का अभियान शुरू होने से ठीक पहले महापौर का दिल्ली में एक मंत्री से मिलने के पीछे क्या गणित है?

तेलीबांधा तालाब प्रोजेक्ट तालाब का सौन्दयाकरण


        तेलीबांधा तालाब के किनारे बनने वाले बीएसयूपी प्रोजेक्ट की तर्ज पर ही गरीबों के मकान बन आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम योजना के तहत राजधानी को स्लम फ्री करने के लिए बीएसयूपी के इनसीटू मकान बनाकर दिए जाने हैं। 
         देश के अधिकांश शहरों में बीएसयूपी के प्रोजेक्ट फेल हो रहे थे। लेकिन तेलीबांधा तालाब के बीएसयूपी प्रोजेक्ट में व्यवस्थापन का रास्ता साफ हो जाने के बाद रायपुर को स्लम फ्री बनाने की योजना को लेकर सरकार भी उत्साहित है। आला अधिकारी तो तेलीबांधा प्रोजेक्ट को रोल मॉडल की तरह देशभर में प्रचारित करने तक का मंथन कर रहे हैं। अफसर खुद तेलीबांधा तालाब के व्यवस्थापन में मिली सफलता से अचंभित हैं। बिना किसी खास विरोध के लोगों की शिफ्टिंग हो जाने के बाद शहर में तेरह अन्य स्थानों पर प्रोजेक्ट लाने पर काम शुरू कर दिया गया है। 
         झुग्गी बस्तियों को पहले चरण में लिया गया है। इनको शिफ्ट करके कुछ स्थानों पर इनसीटू प्रोजेक्ट व कुछ जगहों पर सड़क व ग्रीन बेल्ट डेवलप किया जाएगा