सोमवार, 28 नवंबर 2011

तेलीबांधा तालाब की नए सिरे से नाप-जोख

रायपुर। तेलीबांधा तालाब की अब नए सिरे से नापजोख होगी। रेवेन्यू अफसरों से वर्तमान रकबे का पूरा सीमांकन करने के बाद पूरी जानकारी देने को कहा गया है। पुराने रेवेन्यू रिकार्ड के अनुसार तालाब 35 एकड़ में था। अब इसके आधे से कम हिस्से में ही तालाब बचा है।

कलेक्टर डा. रोहित यादव ने एसडीएम तारन प्रकाश सिन्हा से इलाके के सारे पटवारियों को तालाब के पूरे रकबे की मौके पर जाकर लैंड रिकार्ड के साथ जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं। इसकी पूरी रिपोर्ट दो दिन के अंदर तैयार करने को कहा है। अफसरों से यह भी कहा गया है कि वे अपने साथ पुराने लैंड रिकार्ड की कापी लेकर जाएं। उस आधार पर वर्तमान में तालाब के पानी की जमीन, निस्तारी की जमीन और बची घास जमीन की पूरी जानकारी तैयार करें। नापजोख के सारे रिकार्ड की जानकारी तैयार होने के बाद ही निगम के द्वारा मांगी जा रही जमीन पर निर्णय होगा। उल्लेखनीय है कि तेलीबांधा तालाब सौंदर्यीकरण और इनसीटू प्रोजेक्ट के तहत तालाब के किनारे बनने वाले मकानों के लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट से जमीन का अलाटमेंट नगर निगम को होना है।




ये वही जमीन है जहां से छह महीने पहले तेलीबांधा बस्ती को बोरियाकला में शिफ्ट कराने के बाद खाली कराया गया। 12 एकड़ की वाटर बाडी के बाद खाली कराई गई बस्ती में से 6 एकड़ जमीन निकली है। इसमें से 2 एकड़ जमीन निगम मकान बनाने के लिए मांग रहा है। मगर जनवरी 2011 के जगपाल सिंह वर्सेस स्टेट आफ पंजाब के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को दिए गए निर्देश के बाद तालाब के पानी और निस्तार की जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण न करने के निर्देश दिए गए थे। उसके बाद से ही तेलीबांधा तालाब सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट पर प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हुआ।



निर्णय आने के बाद खाली हुई बस्ती : गौर करने वाली बात यह है कि जगपाल सिंह वर्सेस स्टेट आफ पंजाब का फैसला जनवरी में आ गया था। इसके तत्काल बाद राज्य शासन को तालाब की जमीन पर निर्माण नहीं करने के निर्देश भी दे दिए गए। मगर राज्य शासन और निगम प्रशासन ने अप्रैल के अंत में तेलीबांधा बस्ती के लोगों के पट्टों को निरस्त करके उन्हें इस वादे के साथ बोरियाकला शिफ्ट किया कि उन्हें दोबारा तालाब के किनारे खाली हुई जमीन पर ही मकान बनाकर दिए जाएंगे। अब सवाल यह उठता है कि जब शासन व प्रशासन को इस बात का पता था कि खाली होने वाली जमीन पर मकान नहीं बनाए जा सकते तो बस्ती वालों के साथ लिखित में करार किस आधार पर किया गया।



साढ़े चौबीस करोड़ के मकान : तेलीबांधा तालाब के किनारे बनने वाले राज्य के पहले इनसीटू प्रोजेक्ट के तहत कुल 720 मकान बनाए जाने हैं। ये मकान 24 करोड़ 40 लाख 80 हजार रुपए की लागत से बनने हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने 80 फीसदी, राज्य सरकार ने दस फीसदी और नगर निगम ने दस फीसदी राशि अलाट की है। बनने वाले एक मकान की लागत 3 लाख 39 हजार रुपए आ रही है। इसका दस फीसदी हिस्सा मकान बनने के बाद बस्ती वालों से लिया जाना है। ये दस फीसदी हिस्से का शेयर नगर निगम मकान निर्माण के पहले लगा रहा है। 



तालाब का कुल रकबा 35 एकड़ से ज्यादा



> 1929-30 के लैंड रिकार्ड के मुताबिक तालाब का कुल रकबा 35 एकड़ से ज्यादा। 
> उस लैंड रिकार्ड के मुताबिक जीई रोड की गौरवपथ की सड़क भी तालाब की जमीन। 
> जलविहार कालोनी की सड़क, गार्डन, आरडीए कांप्लेक्स और लायंस क्लब का हाल भी पानी के अंदर की जमीन पर बना है। 
> वर्तमान में केवल 12 एकड़ हिस्से में वाटर बाडी बची है। 
> बस्ती को खाली कराने के बाद 6 एकड़ की अतिरिक्त जमीन निकली। 
> चार एकड़ जमीन में तालाब की वाटर बाडी को बढ़ाने की योजना। 
> 2 एकड़ जमीन पर सौंदर्यीकरण और मकान बनाने की योजना।



तेलीबांधा तालाब का नए सिरे से नापजोख कराया जा रहा है। रेवेन्यू डिपार्टमेंट से कहा गया है कि इलाके के सारे पटवारी और आरआई को नापजोख में लगा दिया जाए। उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. रोहित यादव, कलेक्टर

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